सरपंच प्रतिनिधि पर पुलिस की एकतरफा कार्रवाई के विरोध में ग्रामीणों ने थाने पर किया प्रदर्शन
-दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विधायक भी पहुंचे, बिना जांच एफआईआर पर उठाए सवाल
मनावर : (सिंघम रिपोर्टर) धार जिले की ग्राम पंचायत टवलाई में शासकीय भूमि पर बन रहे पंचायत भवन निर्माण को लेकर की गई शिकायत के बाद मौके पर जांच करने पहुंचे जनपद सीईओ और अध्यक्ष के सामने जो हंगामा हुआ वह थाने तक जा पहुंचा था। शिकायतकर्ताओं हेमराज जाट और सरपंच पति के बीच हुई बहस और झूमाझटकी के बाद जो रिपोर्ट दर्ज हुई उसमें चाकू मारने तक का उल्लेख हो गया। धरमपुरी थाना प्रभारी संतोष यादव ने भी कैमरे के सामने चाकू मारने की बात कही लेकिन जब दूसरे दिन ग्रामीणों ने थाने का घेराव कर एसडीओपी और टीआई को वस्तुस्थिति से अवगत कराया तब टीआई बोले कि वे इसकी जांच करेंगे और आगे की कार्रवाई की जाएगी।
थाने पर प्रदर्शन करते हुए ग्रामीणों ने मनोज रावत (मोनू) पर दर्ज की गई एफआईआर को झूठा करार दिया है। क्षेत्रीय विधायक डॉ हीरालाल अलावा भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर थाने पहुंचे और उन्होंने एसडीओपी और टीआई से बिना जांच किए दर्ज की गई एफआईआर पर सवाल उठाया। विधायक ने कहा कार्रवाई से पहले पुलिस को मौके पर जांच के लिए पहुंचे जनपद सीईओ और अध्यक्ष से पता करना चाहिए था कि वहां चाकू चलने की घटना हुई भी है या नहीं। बिना चाकू चलाए शिकायतकर्ता की मंशानुरूप एफआईआर कैसे दर्ज की जा सकती है? विधायक ने कहा-पुलिस ने यह कृत्य पर्दे के पीछे खेल खेल रहे कुछ लोगों के इशारे पर मनोज रावत को फंसाने के लिए किया है। ग्रामीणों ने भी यही बात कही और कहा ऐसी एकतरफा कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ग्रामीणों ने कहा पुलिस की एकतरफा कार्रवाई के बजाय मनोज रावत द्वारा दिये गए आवेदन पर भी एफआईआर होना चाहिए। ग्रामीणों ने एक बात और कही-जिस जगह पंचायत भवन निर्माण को लेकर सवाल उठाकर विवाद किया जा रहा है वहीं सालों पहले पंचायत भवन से बड़ी बिल्डिंग का निर्माण किया गया था, तब इस तरह की शिकायतें क्यों नहीं कि गई?
क्या शिकायत कर्ता की सरकारी जमीन पर कब्जे की नियत है?
पूर्व सरपंच के मुताबिक जिस हेमराज नामक व्यक्ति ने शासकीय भूमि पर पंचायत भवन निर्माण का विरोध करते हुए शिकायत की और खुद को चाकू मारने का आरोप लगाते हुए मुझ पर केस दर्ज करवाया वह बीते कई सालों से नाले किनारे की शासकीय भूमि को अपनी बता चुका है? राजस्व विभाग द्वारा सीमांकन किए जाने के बाद भी भूमि को निजी स्वामित्व की बताकर दावा भी ठोंक चुका है। लेकिन फैसला जब पक्ष में नहीं आया तो पंचायत के कामों में अड़ंगा डालने लगा। इस बीच कुछ ग्रामीणों का कहना है कि इस व्यक्ति ने कुछ साल पहले शासकीय पट्टाधारक मकान मालिकों के साथ निजी मकान मालिकों तक को 60-70 साल पुराने घर खाली करवाने के नोटिस यह कहते हुए जारी करवा दिए थे कि उक्त भूमि उसके परिवार की है और उन्हें यह खाली करना पड़ेगी। इसके बाद मामला एसडीएम कोर्ट में चला और उसका पटाक्षेप हुआ।
क्या मनोज रावत का बढ़ता कद विवाद का कारण है?
पूर्व सरपंच मनोज रावत वर्तमान में सरपंच प्रतिनिधि हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मनोज रावत के पूर्व के कार्यकाल में गांव में जो विकास के कार्य हुए उतने पहले कभी नहीं हुए और न ही उन कामों में वह मजबूती रही। मनोज रावत की बढ़ती लोकप्रियता और गांव के विकास को लेकर चिंता उनके राजनीतिक विरोधियों के लिए चिंता का कारण बताई जाती है। मनोज रावत के पास युवाओं की एक बड़ी टीम है जिसका अभाव क्षेत्र में राजनीति करने वाले कथित बड़े नेताओं को भी खलता है। ग्रामीणों का भी कहना है कि एक उभरता युवा नेता की लोकप्रियता कुछ नेताओं की आंखों में खटकने लगी है और इसीलिए पर्दे के पीछे से मनोज रावत का ग्राफ गिराने की कोशिशों को लगातार शिकवे-शिकायतों से अंजाम तक पहुंचाने का षडयंत्र किया जा रहा है।
बताया गया कि ग्राम पंचायत टवलाई में जितने कार्य बीते 10-12 सालों में हुए उतने काम आजादी का बाद से एक दशक पहले तक किसी ने होते नहीं देखे। एक वक्त था जब ग्रामीण पीने के पानी के लिए बाल्टियां उठाकर इधर-उधर से पानी लाते थे, महिलाएं जलसंकट के कारण बेहद परेशान थी। पीने के पानी के मामले में पूरे गांव को राहत रावत के कार्यकाल में ही मिली। वक़्त के साथ चलते हुए पंचायत ने समूचे जिले में सबसे पहले डोर-टू-डोर कचरा उठाने का काम कर दिखाया। बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने की दृष्टि से तीन-तीन कमर्शियल काम्प्लेक्स का निर्माण किया जहां लोग आज व्यापार कर रहे हैं। गांव की सुंदरता और आध्यात्मिक दृष्टि से चौपाल और मंदिर परिसरों में बेहतर काम हुए। टवलाई जिले की पहली पंचायत बनी जिसे सीसीटीवी कैमरों से चोरी और अन्य दृष्टि से सुरक्षित किया। अथक परिश्रम से बंजर पहाड़ को हरा-भरा करने का काम और गोशाला का सफल संचालन का कारनामा भी रावत के कार्यकाल में इच्छाशक्ति के बल पर पूर्ण किया गया। गोशाला के परिसर में रोजाना गोभक्त और बाबा खाटूश्याम के भक्त बड़ी संख्या में आते हैं। बच्चे यहां के सुंदर उद्यान में धमाचौकड़ी करते हैं। यही नहीं और भी ऐसे कई काम हैं जो उनके राजनीतिक विरोधियों को पच नहीं रहे हैं। ग्रामीणों का भी कहना है कि इतने सारे बेहतर कामों से बौखलाए लोग अपनी लाइन बड़ी करने के बजाय झूठी शिकायतों और अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए सामने वाले कि लाइन छोटी करने के षड्यंत्र में लगे हैं। फिलहाल हम इन आरोपों की पुष्टि नहीं करते लेकिन ग्रामीणों ने प्रकरण दर्ज पर असंतोष जाहिर किया।