मध्य प्रदेश के नीमच जिले का शहीद पार्क आज भी 1857 की क्रांति का गवाह है। यहां स्थित बरगद के पेड़ पर 27 स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी गई थी, जिनमें रामरतन खत्री, प्यारे खान पठान और केसर सिंह बेस जैसे वीर शामिल थे। यह पेड़ और पार्क आज भी उन शहीदों के बलिदान को याद दिलाता है, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अपना सर्वस्व समर्पित किया था।
1857 में नीमच ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष का अहम हिस्सा निभाया था, और यहां से स्वतंत्रता संग्राम की एक नई राह का आरंभ हुआ था। शहीद पार्क में इस ऐतिहासिक घटना को याद करते हुए कई आयोजन होते हैं, जिसमें 26 जनवरी, 15 अगस्त और कारगिल दिवस पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह स्थल न केवल भारत की आज़ादी की याद दिलाता है, बल्कि हमें यह भी सिखाता है कि वीरता और बलिदान का क्या मूल्य होता है।