देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर इंदौर के राजवाड़ा में एक ऐतिहासिक पल रचा गया। शहर के इसी ऐतिहासिक स्थल पर पहली बार मध्यप्रदेश कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई। ‘मोहन सरकार का दरबार’ नाम से सजे इस आयोजन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सहित उनके सभी मंत्री विशेष अंदाज़ में पहुंचे, जबकि मंत्री विजय शाह विवादों के चलते बैठक में शामिल नहीं हुए।
राजवाड़ा को दुल्हन की तरह सजाया गया, जहां रंग-बिरंगी पताकाएं, फूलों की सजावट, कालीन और पारंपरिक व्यवस्था देखने को मिली। मंत्री और अधिकारी लालबाग पैलेस से विशेष इलेक्ट्रिक एसी बस में बैठकर राजवाड़ा पहुंचे। सभी ने मालवी पगड़ी धारण की और पारंपरिक गादी-तख्त पर बैठकर विकास व जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की।
गणेश हाल में देवी अहिल्या की चरण पादुका और होलकर राजवंश के गौरवशाली इतिहास को दर्शाते चित्रों के बीच बैठक का शुभारंभ हुआ। इससे पहले मुख्यमंत्री ने लालबाग में विकास कार्यों का भूमिपूजन कर देवी अहिल्या की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
बैठक के बाद दरबार हाल में मंत्रियों के लिए शाही भोज का आयोजन हुआ, जिसमें दाल-बाटी, दही-बड़ा, मावा बाटी जैसे पारंपरिक व्यंजन परोसे गए। खास बात यह रही कि राजवाड़ा के दरबार हाल के संरक्षण और पुनर्स्थापना के लिए 11.21 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है।
यह आयोजन सिर्फ एक बैठक नहीं, बल्कि इंदौर की संस्कृति, परंपरा और ऐतिहासिक गौरव को फिर से जीवित करने का प्रयास भी था।
