धार की भोजशाला पर फिर उमड़ा जनसमर्थन, 22 साल बाद पूर्ण अधिकार की ओर बढ़ता हिंदू समाज

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मध्य प्रदेश के धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला पर आज पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं। 22 साल पहले हिंदू समाज के संघर्ष के बाद यहां पूजा-अर्चना की अनुमति मिली थी और ताले खुले थे। अब समाज इसे न्याय के आधार पर पूरी तरह अपने अधिकार में लेने के लिए तैयार है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा हाल ही में किए गए सर्वेक्षण में भोजशाला परिसर से कुल 94 हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बरामद हुईं, जिनमें भगवान गणेश और शिव की मूर्तियां प्रमुख हैं। इसके अलावा 1700 अन्य पुरातात्विक अवशेष, 106 स्तंभ, 82 भित्ति चित्रों के अंश और 31 सिक्के भी मिले, जिनमें से एक परमार काल का है।

भोजशाला को लेकर हिंदू समाज लंबे समय से आंदोलनरत रहा है। 1997 में तत्कालीन प्रशासन ने यहां हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। इसके बाद समाज ने विरोध शुरू किया, जो 2003 में सफलता में बदला, जब 8 अप्रैल को पूजा की अनुमति मिली। अब 22 साल पूरे होने पर यह दिन विशेष उत्सव का रूप ले चुका है, क्योंकि इस बार यह मंगलवार को पड़ रहा है, जो भोजशाला में पूजा का दिन माना जाता है।

भोजशाला पर पूर्ण अधिकार के लिए न्यायिक लड़ाई भी चल रही है। आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ता गोपाल शर्मा ने बताया कि 1997 के प्रतिबंध के बाद समाज ने लगातार संघर्ष किया। 2002 के आंदोलन में तीन लोगों ने बलिदान दिया, आठ पर रासुका लगाई गई और हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया।

इन संघर्षों के बाद तत्कालीन केंद्रीय संस्कृति मंत्री भावना बेन चिखलिया के आदेश से मंगलवार को पूजा और शुक्रवार को नमाज की अनुमति दी गई। आम दिनों में पर्यटक एक रुपये शुल्क देकर प्रवेश कर सकते हैं। यह व्यवस्था 22 साल से चल रही है।

अब हिंदू समाज इस मुद्दे को लेकर फिर से सक्रिय है। ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ द्वारा चल रही कानूनी लड़ाई में 22 मार्च 2024 को शुरू हुआ एएसआई सर्वे 100 दिन चला और रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी गई। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट पर अमल करने पर रोक लगा रखी है, लेकिन अप्रैल में इस पर सुनवाई प्रस्तावित है। याचिकाकर्ता आशीष गोयल और अन्य लोग अपनी बात अदालत में रखेंगे। उनका कहना है कि भोजशाला पर ‘धार्मिक स्थल उपासना अधिनियम’ लागू नहीं होता, इसलिए मामले की सुनवाई हाई कोर्ट इंदौर में होनी चाहिए।

Soniya upadhyay
Author: Soniya upadhyay

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