
क्या इस मुख्य सड़क को ही भूल गए जिम्मेदार?
मनावर : (शाहनवाज शेख) धरमपुरी से बाकानेर गांव में आने वाला वर्षों पुराना मुख्य मार्ग अब मरम्मत को तरस रहा है। वर्तमान स्थिति देखकर ऐसा प्रतीक होता है कि कई दशक से इस मार्ग की मरम्मत नहीं हुई? आज के युग के डिजिटल भारत में जहां गांव-गांव से नगरों और शहरों को जोड़ने वाली सड़के पर्याप्त मरम्मत और कई योजनाओं के तहत बनकर तैयार हो रही है, वहीं बाकानेर का सबसे पुराना मार्ग मुख्य मार्ग आज राहगीरों के लिए चलने लायक भी नहीं बचा। जिम्मेदार विभाग की लापरवाही देखकर ग्रामीणों पर तरस आने लगा है। हालांकि यह मार्ग पीडब्ल्यूडी विभाग के अंतर्गत होकर ग्राम पंचायत रणगांव के मजरा, राजस्व ग्राम कल्याणपूरा में स्थित है। पर्याप्त आबादी वाले इस क्षेत्र में सड़कों पर गहरी गहरी नालिया और गड्ढे हो चुके हैं, वाहनो को निकलने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ता है दो पहिया वाहन चालक आए दिन इस मार्ग पर गिर जाते हैं बावजूद इसके कोई सूद लेने वाला नहीं।

दिखावे भर के लिए डाल देते हैं मुरूम – ग्रामीण
स्थानीय नागरिक शंकर, महेश एवं कालू ने बताया कि कई लोगों का जीवन इसी मार्ग से गुजरते हुए बीत गया, रोजमर्रा का जीवन जीने के लिए इस मार्ग का प्रतिदिन उपयोग किया जाता है। स्कूली बच्चे, ग्रामीण व अन्य लोग आने-जाने के लिए इसी मार्ग का उपयोग करते है, यहां दिखावे भर के लिए इस मार्ग के गड्ढों पर मुरम डाल दी जाती है जो थोड़ी ही बारिश होने पर बह जाती है, जिसके बाद वहीं स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ग्रामीणों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाना एक अपराध की ही दृष्टि जैसा माना जाना चाहिए। बाकानेर के पुराने मार्ग पर नदी के पुल से लेकर बाईपास चौराहे तक जाने वाले इस मार्ग की कुल लंबाई लगभग 300 मीटर होगी। ना तो साइड सोल्डर का भराव है और ना ही बीच सड़कों पर डामर, ऐसी दशा में ग्रामीण रोजमर्रा का जीवन जीने को मजबूर है।

छोटे एरिया में भी जाना मुश्किल
ग्रामीणों ने बताया कि इस मार्ग से जुड़ी छोटी-छोटी बस्ती तक जाने के लिए रास्ता ही नहीं बल्कि कीचड़नुमा मार्ग हैं। उन्होंने बताया कि ना तो पंचायत वाले ध्यान दे रहे हैं और ना ही संबंधित विभाग वाले, ऐसे में फरियाद लेकर जाए तो जाए कहां? वर्षा ऋतु में चलना भी मुश्किल हो जाता है कीचड़ में बच्चे बड़े बुजुर्ग सभी परेशान रहते हैं लेकिन जिम्मेदारों को ग्रामीणों पर तरस नहीं आ रहा। यह सब लापरवाही का नतीजा है छोटे कस्बों में कोई अधिकारी झांकना भी पसंद नहीं कर रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि हमें तो जीवन जीना ही है चाहे वह सुविधा के साथ हो या सुविधाओं के साथ।









