हाल ही में अफगानिस्तान के स्वास्थ्य अधिकारियों ने राजधानी काबुल में शिक्षा संस्थानों के निदेशकों से मुलाकात की। इस बैठक के दौरान शिक्षा संस्थानों के प्रबंधन को सूचित किया गया कि तालिबान के सर्वोच्च नेता के आदेश पर जल्द ही अफगान महिलाओं को स्वास्थ्य से संबंधित अध्ययन करने से रोक दिया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर एएफपी समाचार एजेंसी से बातचीत करते हुए बताया कि इस संदर्भ में कोई आधिकारिक पत्र जारी नहीं किया गया है, लेकिन शैक्षणिक संस्थानों के निदेशकों को एक बैठक में बताया गया कि अब महिलाएं और लड़कियां इन संस्थानों में पढ़ाई नहीं कर सकेंगी। अधिकारी ने कहा, “उन्हें आदेश के बारे में बताया गया और इसे लागू करने का निर्देश दिया गया, लेकिन इसके बारे में और कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई।नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक शैक्षणिक संस्थान के प्रशासक ने बताया कि बैठक में विभिन्न शैक्षणिक केंद्रों के प्रबंधक मौजूद थे।
बैठक में एक संस्थान के मैनेजर ने भी नाम छिपाने का अनुरोध करते हुए कहा कि वहां दर्जनों शैक्षणिक केंद्रों के संचालक उपस्थित थे। एक अन्य शैक्षणिक केंद्र के वरिष्ठ कर्मचारी ने एएफपी को बताया कि उनके संस्थान के प्रमुख ने तालिबान के सर्वोच्च नेता के इस आदेश के बारे में स्वास्थ्य अधिकारियों से अलग से चर्चा की। इसके बाद इन संस्थानों को अंतिम परीक्षा के लिए दस दिन का समय दिया गया। कुछ प्रशासकों ने मंत्रालय से स्पष्टता मांगी, जबकि अन्य ने इस फैसले के बावजूद सामान्य कामकाज जारी रखा, क्योंकि लिखित आदेश नहीं मिला था।
तालिबान का शासन और महिलाओं की स्थिति
2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में वापस आने के बाद, अफगान महिलाओं का जीवन और भी अधिक सीमित हो गया है। उनके सामाजिक, शैक्षिक और बुनियादी अधिकारों में भारी कटौती की गई है। तालिबान के इस कदम की अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा तीखी आलोचना की गई है, खासकर जब उन्होंने लड़कियों को माध्यमिक शिक्षा से वंचित किया। तालिबान शासन के तहत, जब लड़कियों को माध्यमिक शिक्षा से वंचित कर दिया गया, तो महिला छात्राएं स्वास्थ्य शिक्षा संस्थानों में पढ़ाई के लिए जाने लगीं, क्योंकि ये कुछ ऐसे क्षेत्र थे जो अफगान महिलाओं के लिए खुले थे। अफगानिस्तान में लगभग 10 सार्वजनिक और 150 से ज्यादा निजी स्वास्थ्य संस्थान हैं, जहां दाई से लेकर एनेस्थीसिया, फार्मेसी और दंत चिकित्सा जैसे 18 विषयों में दो साल के डिप्लोमा और प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इन संस्थानों में कुल 35,000 छात्राएं पढ़ाई कर रही हैं।
स्वास्थ्य क्षेत्र पर असर
काबुल के एक निजी संस्थान में दाई की पढ़ाई कराने वाली आयशा (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उन्हें प्रबंधन से एक संदेश मिला, जिसमें बिना किसी स्पष्ट कारण के उन्हें अगले आदेश तक काम पर न आने को कहा गया। आयशा ने कहा, “यह हमारे लिए एक बड़ा सदमा है। मानसिक रूप से हम सभी को हिला दिया गया है।” उन्होंने कहा, “यह उन लड़कियों और महिलाओं के लिए आखिरी उम्मीद थी, जिन्हें विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने का मौका नहीं मिल पाया था।”स्वास्थ्य मंत्रालय के एक स्रोत ने बताया कि इस प्रतिबंध के कारण “पहले से ही संकटग्रस्त स्वास्थ्य क्षेत्र को और नुकसान होगा।” उन्होंने कहा, “हमारे पास पहले ही चिकित्सा और पैरामेडिकल कर्मचारियों की भारी कमी है, और अब यह और बढ़ेगी।”