जबलपुर मेडिकल कॉलेज में बड़ा खुलासा: टॉयलेट के नल के पानी से बन रहा था डॉक्टरों का खाना

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नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से एक बेहद चौंकाने वाली और अस्वस्थता को लेकर चिंता बढ़ाने वाली खबर सामने आई है। यहां डॉक्टरों के लिए तैयार किए जा रहे भोजन में टॉयलेट के नल के पानी का इस्तेमाल किया गया। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि बाथरूम के कमोड के पास लगे नल से पाइप जोड़कर पानी रसोई तक पहुंचाया जा रहा था। यह मामला 6 फरवरी का बताया जा रहा है, जब कॉलेज में एक वार्षिक मेडिकल कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी।

कैसे हुआ खुलासा?

6 फरवरी को जबलपुर मेडिकल कॉलेज में एक वार्षिक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था, जिसमें देशभर से डॉक्टर और विशेषज्ञ शामिल हुए थे। इस दौरान उनके लिए विशेष रूप से भोजन तैयार किया जा रहा था। लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिस पानी का उपयोग इस भोजन को बनाने में किया गया, वह टॉयलेट के नल से लिया गया था।इस पूरी घटना का एक वीडियो किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा रिकॉर्ड कर लिया गया और सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया गया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि एक पाइप टॉयलेट में लगे नल से जोड़कर पानी को किचन तक पहुंचाया जा रहा था। जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ, लोगों में गहरा आक्रोश फैल गया और स्वास्थ्य विभाग सहित प्रशासन पर सवाल उठने लगे।

मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने दी सफाई

घटना पर जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने बयान जारी करते हुए सफाई दी। उन्होंने कहा कि वायरल वीडियो की जांच की जा रही है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि वास्तव में पानी का उपयोग किस कार्य के लिए किया गया था। उनका कहना है कि इस पानी से सिर्फ बर्तन धोए गए थे, न कि इसका उपयोग खाना पकाने में किया गया था। हालांकि, वीडियो को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि इस सफाई में सच्चाई की गुंजाइश कम है।

लोगों में नाराजगी, स्वास्थ्य विभाग पर उठे सवाल

इस मामले ने मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया है। जहां डॉक्टरों को स्वच्छता और स्वास्थ्य का ध्यान रखना सिखाया जाता है, वहीं उनके लिए बनाए गए भोजन में टॉयलेट के नल का पानी इस्तेमाल होना बेहद चौंकाने वाली बात है। इस घटना के बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन की जवाबदेही तय करने की मांग उठ रही है।सोशल मीडिया पर लोग इस लापरवाही पर कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कई लोगों ने इसे एक गंभीर स्वास्थ्य संकट करार दिया है और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

क्या हो सकते हैं इसके परिणाम?

टॉयलेट के पानी में मौजूद बैक्टीरिया और हानिकारक वायरस से खाद्य विषाक्तता (Food Poisoning) और अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।यदि इस पानी से खाना पकाया गया होगा, तो इससे कई संक्रामक बीमारियां फैलने की आशंका है।इस घटना के कारण मेडिकल कॉलेज की छवि को गहरा नुकसान पहुंचा है।स्वास्थ्य विभाग को इस मामले में गंभीर जांच करनी होगी और यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।

क्या होगी आगे की कार्रवाई?

मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इस मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी है।जबलपुर स्वास्थ्य विभाग भी इस घटना की रिपोर्ट तैयार कर सकता है।यदि यह साबित होता है कि खाना पकाने में टॉयलेट के पानी का इस्तेमाल हुआ था, तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।इस घटना के बाद मेडिकल कॉलेजों में स्वच्छता मानकों की सख्त निगरानी की जा सकती है।

यह घटना न केवल मेडिकल कॉलेज प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी मानकों की अनदेखी की ओर भी इशारा करती है। डॉक्टरों के लिए बनाए गए भोजन में टॉयलेट के नल का पानी इस्तेमाल होना, एक गंभीर मुद्दा है, जिस पर कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है। यदि इस मामले में प्रशासन द्वारा उचित कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति हो सकती है, जिससे लोगों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है।अब देखना होगा कि स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन इस पर क्या कदम उठाते हैं और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।

Pooja upadhyay
Author: Pooja upadhyay

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