आगरा के ताजगंज इलाके में चल रहे नकली देसी घी के बड़े कारोबार का खुलासा हुआ है। यहां अमूल, पतंजलि समेत 18 ब्रांड्स के नाम से नकली घी बनाकर कई राज्यों में बेचा जा रहा था। इस गोरखधंधे का मास्टरमाइंड ग्वालियर के कारोबारी निकले हैं।
कैसे चलता था यह धंधा?
यह धंधा बेहद सुनियोजित तरीके से चलाया जा रहा था।
1. बाजार से सस्ते दामों पर रिफाइंड तेल, पाम ऑयल, वनस्पति घी खरीदकर इसमें थोड़ा असली घी और एसेंस मिलाया जाता था।
2. नकली घी की लागत मात्र 170 रुपये प्रति किलो होती थी, जिसे बड़े ब्रांड्स के नाम से पैक करके बेचा जाता था।
3. फास्ट फूड बाजार और छोटे दुकानदारों को सीधे इस नकली घी की आपूर्ति की जाती थी।
मुख्य आरोपी फरार
आगरा पुलिस ने इस फैक्ट्री पर छापा मारकर पांच लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन मास्टरमाइंड ग्वालियर के पंकज अग्रवाल, नीरज अग्रवाल और बृजेश अग्रवाल फरार हैं। आरोपियों ने व्हाट्सएप के जरिए अपनी सप्लाई चेन को मैनेज कर रखा था।
पुलिस ने क्या बरामद किया?
– 144 किलोग्राम एक्सपायरी वनस्पति घी।
– बड़ी मात्रा में नकली घी और पैकेजिंग सामग्री।
राज्यों में फैली थी सप्लाई चेन
नकली घी को राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, असम, बिहार और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में बेचा जा रहा था। यह नकली घी फास्ट फूड स्टॉल जैसे समोसे, डोसा और भल्ले बेचने वालों तक पहुंचाया जाता था।
पिछला रिकॉर्ड
ग्वालियर के खाद्य एवं औषधि विभाग के अनुसार यह परिवार पहले भी नकली घी के कारोबार में शामिल रहा है। 2010 में इस गोरखधंधे की वजह से परिवार पर रासुका भी लगाई गई थी।
पुलिस का बयान
आगरा के डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि मामले की जांच जारी है और फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीमें ग्वालियर में छापेमारी कर रही हैं।यह घटना न केवल खाद्य सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है बल्कि यह भी दिखाती है कि मिलावटखोर किस हद तक लोगों की जान से खिलवाड़ कर सकते हैं। इस मामले में जल्द सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की उम्मीद है।