गेस्ट फैकल्टी से मारपीट का मामला: मप्र हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग और पुलिस से मांगा जवाब

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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सीधी जिले के एक सरकारी कॉलेज में नियुक्त गेस्ट फैकल्टी को बाथरूम में बंद कर पीटे जाने के मामले को अत्यधिक गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को स्वतंत्र रूप से सीधी जिले के पुलिस अधीक्षक रविंद्र वर्मा, थाना प्रभारी दीपक बघेल और अन्य के खिलाफ अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी 2024 को निर्धारित की गई है।

न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में स्पष्ट किया कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को किसी संगठन को जॉइन करने के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता। साथ ही, गेस्ट फैकल्टी के साथ हुई मारपीट के बाद उसकी शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाय उसे कॉलेज से बर्खास्त कर दिए जाने को भी उच्च न्यायालय ने गंभीर माना। न्यायालय ने इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग और सीधी के आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज के प्रधानाचार्य के खिलाफ नोटिस जारी करते हुए उनसे उत्तर तलब किया है।

याचिकाकर्ता रामजस चौधरी ने आरोप लगाया कि वह अनुसूचित जाति से आते हैं और उन्हें आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) से जुड़ने के लिए दबाव डाला जा रहा था। जब उन्होंने मना किया, तो उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया। रामजस चौधरी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने न्यायालय में अपना पक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने गेस्ट फैकल्टी के घायल अवस्था में ली गई तस्वीरें भी न्यायालय के समक्ष पेश की और यह तर्क रखा कि याचिकाकर्ता ने 9 दिसंबर को पुलिस थाने में अत्याचार की शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसके बजाय, अगले ही दिन उसे कॉलेज से बर्खास्त कर दिया गया।

याचिकाकर्ता ने बताया कि 12 सितंबर 2024 को, जब वह कॉलेज से घर जाने के लिए वाहन का इंतजार कर रहे थे, तीन लोग हथियारों से लैस होकर आए और उनका सार्वजनिक रूप से उत्पीड़न किया। घायल अवस्था में वह अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने पुलिस को बताया कि उनके साथ राज किशोर तिवारी, संदीप शर्मा, गीता भारती, सुरेश कुमार तिवारी और अन्य ने हमला किया। हालांकि, पुलिस ने शिकायत में इन लोगों के नाम दर्ज करने के बजाय ‘अज्ञात’ लिख दिया। थाना प्रभारी दीपक सिंह ने उन्हें मदद देने की बजाय गाली-गलौज करते हुए चार घंटे तक थाने में बिठाए रखा। अगस्त में जब वह शिकायत लेकर सीधी एसपी रविंद्र वर्मा के पास पहुंचे, तो उन्होंने उनका आवेदन फाड़ दिया और धमकी दी कि यदि वह फिर से आएंगे तो उन्हें थाने में बंद करवा दिया जाएगा। इसके बावजूद, 10 बार आवेदन देने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

याचिकाकर्ता का कहना है कि अक्टूबर 2023 में कॉलेज के एक प्राध्यापक डॉ. सुरेश कुमार तिवारी ने उन्हें आरएसएस की बैठक जॉइन करने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने इसका विरोध किया। इसके बाद उनके साथ मारपीट की गई। न्यायालय ने इस पूरे मामले पर गंभीर रुख अपनाते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

Pooja upadhyay
Author: Pooja upadhyay

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