मध्य प्रदेश के जबलपुर रेल मंडल में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जो रेलवे सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन पर कई सवाल खड़े करती है। देश के एक केंद्रीय मंत्री जुएल उरांव ट्रेन में सवार हुए, एक स्टेशन पर उतरे, गिर पड़े, फिर दूसरी ट्रेन में चढ़कर 165 किलोमीटर दूर पहुंच गए – और इस पूरी दौरान उनका कोई अता-पता नहीं था।
घटना के अनुसार, केंद्रीय मंत्री जुएल उरांव दिल्ली से जबलपुर जा रही गोंडवाना एक्सप्रेस में सफर कर रहे थे। शनिवार रात वे हजरत निजामुद्दीन स्टेशन से रवाना हुए। लेकिन अगले दिन सुबह दमोह स्टेशन पर उनकी सीट खाली मिली। यह देखकर रेलवे स्टाफ और मंत्री के सुरक्षाकर्मी परेशान हो गए।
सूत्रों के अनुसार, सुबह करीब 3:45 बजे दमोह स्टेशन पर मंत्री जी ट्रेन से उतरे। बताया जा रहा है कि उस समय उनका शुगर लेवल कम हो गया था। जब ट्रेन चलने लगी और वे दोबारा चढ़ने लगे, तो पैर फिसलने से वे गिर पड़े और घायल हो गए। इस बीच, पास के प्लेटफॉर्म पर एक अन्य ट्रेन – संपर्क क्रांति एक्सप्रेस – आ गई, जिसमें वे बैठ गए। इसके बाद उनका स्टाफ उन्हें ढूंढ़ता रहा लेकिन वे नहीं मिले।
हालात तब और उलझ गए जब उनके पीए ने पहले कहा कि मंत्री हरदुआ स्टेशन पर लापता हुए, जबकि वहां तो ट्रेन रुकी ही नहीं। आखिरकार मंत्री जी सिहोरा स्टेशन पर मिले, जहां उन्हें प्राथमिक उपचार देकर जबलपुर लाया गया। इस पूरी घटनाक्रम में करीब तीन घंटे तक रेलवे ट्रैक पर उनकी तलाश की जाती रही। वे संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के बी-3 कोच की 57 नंबर बर्थ पर पाए गए।
यह घटना न सिर्फ मंत्री की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि आम यात्रियों की सुरक्षा पर भी चिंता जताती है। अगर एक केंद्रीय मंत्री का कुछ घंटों तक कोई पता नहीं चल सकता, तो आम लोगों की सुरक्षा की स्थिति क्या होगी?
