विभिन्न प्रमुख उद्योगपतियों द्वारा लोन की अदायगी में असमर्थता के कारण भारतीय बैंकों पर वित्तीय दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले दस वर्षों में, बैंकों ने कुल 12 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया है, जिसमें से आधे से अधिक की माफी पिछले पांच वर्षों (वित्त वर्ष 2020-2024) के दौरान सरकारी बैंकों द्वारा की गई है। इस संदर्भ में, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) अग्रणी भूमिका में है।
यह आंकड़ा सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए डेटा के आधार पर सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2015 से लेकर वित्त वर्ष 2024 तक कुल 12.3 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए गए, जिसमें से 53% यानी लगभग 6.5 लाख करोड़ रुपये सरकारी बैंकों द्वारा माफ किए गए।इसके अलावा, वित्तीय संकट के शिकार उद्योगपतियों में अनिल अंबानी, जेपी ग्रुप और जिंदल ग्रुप की कंपनियां भी शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष 100 डिफॉल्टरों के पास कुल एनपीए का लगभग 43% हिस्सा है, जिससे बैंकों के लिए यह एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।