उज्जैन से शुरू होगा ‘एक देश-एक पंचांग’ का अभियान, तिथियों के मतांतर को खत्म करने के लिए होगा अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन

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उज्जैन में आगामी 29 और 30 मार्च को आयोजित होने वाले दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन में देश-विदेश के विद्वान ‘एक देश-एक पंचांग’ की अवधारणा पर मंथन करेंगे। इस सम्मेलन का उद्देश्य पंचांग की गणना में मतांतर से उत्पन्न होने वाली समस्याओं का समाधान निकालना है, ताकि सभी प्रमुख पर्व और त्योहार पूरे देश में एक ही दिन मनाए जा सकें।देशभर के प्रमुख ज्योतिषाचार्य, अंक गणित विशेषज्ञ, हस्तरेखा विद्वान और पंचांग निर्माता इस सम्मेलन में भाग लेंगे। सम्मेलन के दौरान सूर्य और चंद्र की गति के आधार पर अखंड पंचांग की रचना पर चर्चा की जाएगी। इस दौरान पंचांग के पांच मुख्य अंग—वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।

विद्वानों का मानना है कि ‘एक देश-एक पंचांग’ की अवधारणा से देशभर में तिथियों के निर्धारण में एकरूपता आएगी, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में त्योहारों के मनाए जाने की तिथियों में भेदभाव खत्म होगा।इस सम्मेलन में पाकिस्तान और नेपाल के विद्वान भी शामिल होंगे, जो इस महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार साझा करेंगे। इससे पहले भी इस पर चर्चा हो चुकी है, लेकिन अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार उज्जैन में इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

Pooja upadhyay
Author: Pooja upadhyay

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