उज्जैन में जिला प्रशासन, मुस्कान ड्रीम फाउंडेशन और डेल टेक्नोलॉजी द्वारा एक हैकथॉन का आयोजन किया गया, जिसमें 32 सरकारी स्कूलों के 100 से अधिक छात्रों ने स्क्रैच और एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तकनीकों का उपयोग करके विभिन्न प्रोजेक्ट्स प्रस्तुत किए। इन प्रोजेक्ट्स में बच्चों ने समाज में मौजूद समस्याओं के समाधान के लिए अनोखे तकनीकी उपाय सुझाए, जिनकी प्रशासनिक अधिकारियों ने सराहना की। इस पहल से छात्रों में नवाचार और तार्किक सोच को बढ़ावा मिला।
हैकथॉन में छात्रों द्वारा बनाए गए प्रोजेक्ट्स में पर्यावरण, मानसिक स्वास्थ्य, और महिला सुरक्षा जैसे सामाजिक मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया। जिलाधिकारी नीरज कुमार सिंह ने इस अवसर पर बच्चों की रचनात्मकता और तकनीकी कौशल की तारीफ की। उन्होंने कहा, “आज के समय में समस्या हल करने, तार्किक सोच और आलोचनात्मक सोच जैसे कौशल बेहद महत्वपूर्ण हैं, और बच्चों के प्रोजेक्ट्स ने यह साबित कर दिया कि वे नई-नई तकनीकों के जरिए सामाजिक समस्याओं का समाधान निकालने में सक्षम हैं।”
ज़िला पंचायत की सीईओ, जयति सिंह ने भी बच्चों के प्रोजेक्ट्स की सराहना की, और कहा, “हमने कॉलेज में तकनीक सीखी थी, लेकिन ये बच्चे अपनी कम उम्र में ही तकनीकी समाधान ढूंढ रहे हैं, जो उनकी कल्पनाशीलता और नवाचार की झलक है।”
मुस्कान ड्रीम फाउंडेशन और डेल टेक्नोलॉजी के प्रोजेक्ट मैनेजर शुभम ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य उज्जैन के 32 सरकारी स्कूलों के 6000 से अधिक छात्रों को 21वीं सदी के कौशल सिखाना था। उन्होंने कहा, “स्क्रैच और एआई तकनीकों का इस्तेमाल कर बच्चे समस्याओं का समाधान ढूंढने में सक्षम हुए हैं, और उनके प्रोजेक्ट्स उनकी सोच और तकनीकी समझ को दर्शाते हैं।”
कई छात्राओं ने इस अवसर पर खास प्रोजेक्ट्स प्रस्तुत किए। अंशिका प्रजापत ने हवा की गुणवत्ता मापने वाला एक प्रोजेक्ट बनाया, जो यह बताता है कि हवा कितनी स्वच्छ या प्रदूषित है। समृद्धि प्रजापत ने मानसिक स्वास्थ्य पर आधारित एक प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया, जिसमें एआई का उपयोग लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करने के लिए किया गया। एक अन्य प्रोजेक्ट महिला सुरक्षा से संबंधित था, जिसमें छात्राओं ने एक ऐसा उपाय विकसित किया, जिससे संकट के समय महिलाओं को तुरंत मदद मिल सके।
कार्यक्रम में जिला शिक्षा अधिकारी आनंद शर्मा और जिला परियोजना समन्वयक अशोक त्रिपाठी भी मौजूद थे। उन्होंने बच्चों की रचनात्मकता और तकनीकी ज्ञान की सराहना की। अधिकारियों का मानना है कि इस प्रकार के कार्यक्रम बच्चों में नवाचार को बढ़ावा देते हैं, जो उन्हें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करता है।
