उज्जैन : उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में सुबह 4 बजे आयोजित भस्म आरती में एक विशेष परंपरा का पालन किया जाता है, जिसमें महिला भक्तों को घूंघट पहनने की आवश्यकता होती है। यह परंपरा धार्मिक मान्यता से जुड़ी हुई है, जिसके अनुसार भस्म आरती के समय महाकाल निराकार रूप से साकार रूप में परिवर्तित होते हैं और भस्म से स्नान करते हैं। इस दौरान उनका अभ्यंग स्नान होता है, और इसी कारण महिलाओं के दर्शन पर प्रतिबंध होता है।
महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का पंचामृत से स्नान कर उन्हें भस्म से श्रृंगारित किया जाता है। इस भव्य और दिव्य अनुभव का लाभ लेने वाले भक्तों ने “जय श्री महाकाल” के नारे लगाए। इस आरती के दौरान महाकाल को भांग से श्रृंगारित किया जाता है, फिर भस्म अर्पित की जाती है।
इस परंपरा को मंगला आरती भी कहा जाता है, और यह संदेश देती है कि संसार नाशवान है। आरती के दौरान पांच विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, और दीपक से आरती की जाती है।
पहले महाकाल की भस्म आरती श्मशान की ताजा राख से की जाती थी, लेकिन अब गाय के कंडों, पीपल, पलाश, शमी और बेर की लकड़ियों से तैयार की गई भस्म का उपयोग किया जाता है।
