इज़राइल और ईरान के बीच तनाव 1979 की ईरानी क्रांति से शुरू हुआ, जब ईरान इस्लामिक गणराज्य बना और आयतोल्लाह खोमेनी के नेतृत्व में इज़राइल को दुश्मन माना। इससे पहले, दोनों देशों के बीच अरब शक्तियों के खिलाफ साझा हितों के कारण अच्छे संबंध थे। क्रांति के बाद, ईरान ने इज़राइल विरोधी रुख अपनाया, इसे अस्तित्व के लिए खतरा माना और लेबनान में हिजबुल्लाह और गाजा में हमास जैसे समूहों का समर्थन किया। इज़राइल, ईरान के परमाणु महत्वाकांक्षाओं और क्षेत्रीय प्रॉक्सी नेटवर्क, जिसे “एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस” कहा जाता है, को अपने लिए खतरा मानता है।
यह संघर्ष ऐतिहासिक रूप से प्रॉक्सी युद्धों, साइबर हमलों, हत्याओं और गुप्त अभियानों के माध्यम से सामने आया। इज़राइल ने ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य कर्मियों को निशाना बनाया, जबकि ईरान ने इज़राइली हितों पर हमला करने वाले उग्रवादी समूहों का समर्थन किया। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के इज़राइल पर हमले, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए, ने तनाव को और बढ़ाया। इज़राइल ने ईरान पर हमले के लिए आंशिक वित्तपोषण और समर्थन का आरोप लगाया, हालांकि ईरान ने प्रत्यक्ष संलिप्तता से इनकार किया।

2024 में तनाव में वृद्धि
2024 में संघर्ष में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं:
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अप्रैल 2024: ईरान ने दमिश्क में अपने दूतावास पर कथित इज़राइली बमबारी, जिसमें दो ईरानी जनरल मारे गए, के जवाब में इज़राइल पर 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलें दागीं। “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस” नामक यह हमला ईरान का इज़राइल पर पहला प्रत्यक्ष हमला था। इज़राइल, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जॉर्डन ने 99% प्रोजेक्टाइल्स को रोक लिया।
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जुलाई 2024: तेहरान में हमास के राजनीतिक नेता इस्माइल हनियेह की हत्या, जो लेबनान में हिजबुल्लाह कमांडर फुआद शुक्र की इज़राइली हवाई हमले में मौत के कुछ घंटों बाद हुई, ने तनाव को बढ़ाया। ईरान और हिजबुल्लाह ने जवाबी कार्रवाई की कसम खाई।
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अक्टूबर 2024: गाजा और लेबनान में इज़राइली अभियानों के जवाब में ईरान ने इज़राइल पर लगभग 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इज़राइल ने 26 अक्टूबर को जवाबी हमले किए, जिसमें ईरानी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया, लेकिन परमाणु और तेल सुविधाओं को निशाना बनाने से बचा।
जून 2025 में प्रमुख और नवीनतम घटनाक्रम
जून 2025 में युद्ध एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंचा, जिसमें बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाइयां हुईं:
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12-13 जून 2025: इज़राइल का ऑपरेशन राइजिंग लायनइज़राइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” नामक एक बड़ा हमला शुरू किया, जिसमें ईरान की परमाणु सुविधाओं, मिसाइल ठिकानों और सैन्य नेतृत्व को निशाना बनाया गया। इस अभियान में तेहरान, नटांज़, इस्फहान, तबरेज़, शिराज़ और केरमानशाह जैसे शहरों पर कई हवाई हमले शामिल थे। प्रमुख लक्ष्य थे:
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नटांज़ परमाणु सुविधा: ईरान का मुख्य यूरेनियम संवर्धन स्थल, जहां जमीन के ऊपर की संवर्धन संयंत्र नष्ट हो गया, जिससे रासायनिक और रेडियोलॉजिकल प्रदूषण हुआ। संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने इसकी पुष्टि की।
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सैन्य ठिकाने और कमांड सेंटर: पारचिन सैन्य अड्डे और कमांडरों के आवासीय परिसरों पर हमले हुए, जिसमें वरिष्ठ लोग मारे गए, जैसे:
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हुसैन सलामी, इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कमांडर।
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मोहम्मद बघेरी, ईरान की सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ।
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अमीर अली हाजीज़ादेह, IRGC की एयरोस्पेस फोर्स के प्रमुख।
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घोलम रशीद, आपातकालीन बलों के कमांडर।
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छह शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक, जिनमें पूर्व परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रमुख अब्बासी-दवानी शामिल हैं।
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अन्य लक्ष्य: तेहरान के मेहराबाद हवाई अड्डे और तबरेज़ हवाई अड्डे पर हमले, साथ ही मिसाइल उत्पादन सुविधाएं।
ईरानी सरकारी मीडिया ने 78 लोगों की मौत की सूचना दी, जिसमें ज्यादातर नागरिक थे, और 320 से अधिक लोग घायल हुए। इज़राइल ने इसे “निवारक” हमला करार दिया, दावा किया कि ईरान कुछ ही महीनों में परमाणु हथियार बना सकता था। इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि यह अभियान “जितने दिन लगें” जारी रहेगा।
हमले में 200 से अधिक F-35I “अदिर” लड़ाकू जेट शामिल थे, और इज़राइल ने गुप्तचर जानकारी और ईरान में तैनात हथियारों का उपयोग किया।
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13-14 जून 2025: ईरान का जवाबी हमला: ऑपरेशन सीवियर पनिशमेंट13 जून की रात को, ईरान ने “ऑपरेशन सीवियर पनिशमेंट” शुरू किया, जिसमें इज़राइल पर सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें और लगभग 100 ड्रोन दागे गए। हमले तेल अवीव, यरूशलेम और रामत गान जैसे शहरों को निशाना बनाया गया। इज़राइल के मिसाइल रक्षा तंत्र, जैसे एरो और डेविड्स स्लिंग, ने अधिकांश मिसाइलों को रोक लिया, लेकिन कुछ ने इमारतों को नुकसान पहुंचाया। इज़राइल में कम से कम दो लोगों की मौत और 41 लोग घायल हुए।
ईरान ने हिजबुल्लाह और यमन के हौथी विद्रोहियों जैसे प्रॉक्सी समूहों के साथ समन्वित हमले शुरू किए। हौथियों ने 2 और 3 जून को बेन गुरियन हवाई अड्डे पर मिसाइल हमले किए, जिसके कारण कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द हुईं।
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने इज़राइल को “कठोर सजा” की चेतावनी दी और नए कमांडरों की नियुक्ति की।
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नवीनतम अपडेट्स (14 जून 2025, सुबह 10:07 IST):
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तेहरान में नए हमले: 14 जून की सुबह, तेहरान में फिर से विस्फोटों की खबरें आईं, क्योंकि ईरानी वायु रक्षा प्रणाली नए इज़राइली हमलों को रोकने की कोशिश कर रही थी। मेहराबाद हवाई अड्डे से धुआं और आग की लपटें देखी गईं।
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फोर्डो पर हमले की योजना: इज़राइल ने संकेत दिया है कि वह अगला लक्ष्य फोर्डो परमाणु सुविधा बनाएगा, जो गहरे भूमिगत है और हथियार-ग्रेड यूरेनियम का भंडारण करता है।
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ईरान की परमाणु स्थिति: अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने 12 जून को ईरान को परमाणु दायित्वों का पालन न करने वाला पाया। ईरान ने एक नई संवर्धन सुविधा की घोषणा की।
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अमेरिकी भूमिका: अमेरिका ने इज़राइल के हमले में प्रत्यक्ष भागीदारी से इनकार किया, लेकिन इज़राइल ने हमले से पहले अमेरिका को सूचित किया। अमेरिका ने ईरानी मिसाइलों को रोकने में मदद की।
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कूटनीतिक प्रयास: संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की। रूस, सऊदी अरब और तुर्की ने हमलों की निंदा की।
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क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
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क्षेत्रीय तनाव: इज़राइल के हमले और ईरान की जवाबी कार्रवाई ने लेबनान, सीरिया और यमन में प्रॉक्सी युद्धों को तेज किया। हिजबुल्लाह ने उत्तरी इज़राइल पर रॉकेट हमले बढ़ाए, और हौथियों ने लाल सागर में इज़राइली जहाजों को निशाना बनाया।
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वैश्विक प्रतिक्रिया:
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संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका ने इज़राइल का समर्थन किया लेकिन परमाणु और तेल सुविधाओं पर हमलों के खिलाफ चेतावनी दी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को परमाणु वार्ता में लौटने के लिए कहा।
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रूस और चीन: दोनों ने इज़राइल की निंदा की और ईरान को समर्थन की पेशकश की।
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यूरोपीय संघ: यूरोपीय देशों ने संयम और कूटनीति की अपील की।
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आर्थिक प्रभाव: तेल की कीमतें 7% बढ़ीं, क्योंकि होर्मुज़ जलसंधि में व्यवधान का डर था। यूरोपीय एयरलाइंस के शेयरों में 3-5% की गिरावट आई।
संभावित परिणाम
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परमाणु युद्ध का खतरा: इज़राइल का लक्ष्य ईरान की परमाणु क्षमता को नष्ट करना है, लेकिन फोर्डो जैसे बंकरों को नष्ट करना मुश्किल है। यदि ईरान परमाणु हथियार बनाता है, तो क्षेत्रीय युद्ध विनाशकारी हो सकता है।
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क्षेत्रीय युद्ध: प्रॉक्सी समूहों की भागीदारी से पूर्ण युद्ध का खतरा है।
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कूटनीतिक प्रयास: संयुक्त राष्ट्र और मध्यस्थ युद्धविराम की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन दोनों पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं।
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मानवीय संकट: ईरान में हताहतों की संख्या बढ़ रही है, और गाजा और लेबनान में संघर्षों ने हजारों को विस्थापित किया है
