इंदौर में परिवहन को सुगम बनाने के लिए शुरू किया गया बीआरटीएस (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) शुरू से ही विवादों में घिरा रहा है। आम जनता और जनप्रतिनिधियों में इस सिस्टम को लेकर मतभेद रहे हैं। भोपाल में बीआरटीएस को हटाने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि इंदौर में भी यही निर्णय लिया जाएगा।
अब, हाई कोर्ट ने गुरुवार को इसके हटाने की मंजूरी दे दी है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि सरकार पहले ही इसे हटाने की योजना बना चुकी थी ताकि यातायात सुगम हो सके। हाई कोर्ट का आदेश आने के बाद, कल से ही इसे हटाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
इंदौर ने साल 2000 में कोलंबिया से आए बीआरटीएस मॉडल को अपनाया था, लेकिन अब विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिस्टम अब अपनी उपयोगिता खो चुका है और इससे अक्सर ट्रैफिक जाम की स्थिति उत्पन्न होती है। कोर्ट में प्रस्तुत एक पांच सदस्यीय समिति की रिपोर्ट में भी यही कहा गया था कि बीआरटीएस अब काम का नहीं रहा।
मुख्यमंत्री ने पहले ही इस प्रोजेक्ट को हटाने का ऐलान किया था, और अब कोर्ट ने भी इसे मंजूरी दे दी है, जिससे सरकार का यह कदम लागू किया जाएगा।
