डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालने के बाद अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त नीति अपनाई है। इसी के तहत अमेरिका ने हाल ही में 205 भारतीय प्रवासियों को अपने मिलिट्री प्लेन C-17 में बैठाकर स्वदेश भेज दिया। ये लोग टेक्सास और सैन फ्रांसिस्को जैसे शहरों में रह रहे थे।लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर निर्वासन जरूरी था, तो फिर इसके लिए महंगा मिलिट्री प्लेन क्यों चुना गया?
क्या है मिलिट्री प्लेन के इस्तेमाल की असली वजह?
आमतौर पर प्रवासियों को सिविल प्लेन से भेजा जाता है, जिसकी लागत मात्र $853 (₹74,000) प्रति व्यक्ति होती है। लेकिन ट्रंप प्रशासन ने मिलिट्री प्लेन C-17 का इस्तेमाल किया, जिसमें प्रति व्यक्ति $4,675 (₹4.07 लाख) का खर्च आया। यानी यह तरीका 5 गुना ज्यादा महंगा साबित हुआ। तो आखिर ट्रंप ऐसा क्यों कर रहे हैं? विशेषज्ञों के मुताबिक, यह केवल निर्वासन की रणनीति नहीं बल्कि ट्रंप की चुनावी मार्केटिंग का हिस्सा है।जब एक मिलिट्री प्लेन किसी देश में प्रवेश करता है, तो उसे पूरे प्रोटोकॉल के तहत एंट्री मिलती है और मीडिया का भरपूर कवरेज मिलता है।ट्रंप अपने कठोर प्रवासन नीति को दुनिया के सामने दिखाना चाहते हैं ताकि अमेरिकी मतदाताओं को यह संदेश मिले कि वह अवैध प्रवासियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।साथ ही, यह कदम ट्रंप को उनके अगले चुनाव अभियान में मजबूत आधार देने में मदद करेगा।
क्या अमेरिका का खजाना खाली कर सकते हैं ट्रंप के ये फैसले?
ट्रंप प्रशासन बार-बार सरकारी खर्च में कटौती की बात करता है, लेकिन इस तरह के महंगे निर्वासन अभियान पर सवाल उठने लाजमी हैं।अगर यही नीति जारी रही, तो आने वाले दिनों में यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकती है।
क्या ट्रंप की यह रणनीति सफल होगी?
फिलहाल, ट्रंप इस अभियान से अमेरिकी जनता का समर्थन बटोरने में सफल हो रहे हैं। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या यह रणनीति अमेरिका की अर्थव्यवस्था और उनकी राजनीतिक साख पर असर डालेगी या नहीं।
