भोपाल में स्थित एम्स अस्पताल की अमृत फार्मेसी पर मरीजों से दवाओं के अधिक दाम लेने का गंभीर आरोप सामने आया है। कैंसर के एक मरीज ने शिकायत की कि उसे 82,000 रुपये में दवा दी गई, जबकि वही दवा बाहरी बाजार में केवल 65,000 रुपये में मिल रही थी। एम्स और अमृत फार्मेसी के बीच हुआ एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) यह सुनिश्चित करता है कि मरीजों को दवाइयां सस्ती दरों पर मुहैया कराई जाए, लेकिन यहां दवाओं के दाम बाहरी बाजार से ज्यादा वसूले जा रहे हैं, जो कि एमओयू का उल्लंघन है।
पीड़ित मरीज का कहना है कि उनका इलाज प्रधानमंत्री राहत कोष से हो रहा था, फिर भी यह दवा उन्हें अत्यधिक मूल्य पर दी गई। इस मामले में दवा की कीमत में 16,700 रुपये का अंतर है। मरीज ने इस मुद्दे को लेकर एम्स प्रशासन से शिकायत की, लेकिन किसी भी अधिकारी ने इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी।
इसके अलावा, एम्स के एक नर्सिंग अधिकारी ने भी अमृत फार्मेसी पर आरोप लगाया है कि फार्मेसी के कर्मचारियों द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का पालन नहीं किया गया। उन्होंने शिकायत की कि जब उनकी माताजी के लिए लिखी गई दवाओं में से एक दवा उपलब्ध नहीं थी, तो फार्मेसी स्टाफ ने पर्चे पर ‘नॉट अवेलेबल’ लिखने से मना कर दिया, जिससे उन्हें ईएचएस (ईएम्प्लॉयज हेल्थ स्कीम) लाभ की सुविधा प्राप्त नहीं हो सकी।
यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी 2022 में एम्स प्रशासन ने अमृत फार्मेसी के कर्मचारियों को निर्देश दिए थे कि वे दवाओं की आपूर्ति में कोई गड़बड़ी न करें, लेकिन यह समस्याएं लगातार बनी हुई हैं। एम्स प्रशासन के अधीक्षक शशांक पोरवाल से इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया मांगी गई, लेकिन उन्होंने इस पर कोई जवाब नहीं दिया।